शनिवार, 9 अप्रैल 2016

आख़िर आई आई टी किसके बस में?

आखिर iit किसके बस में?
आखिरकर iit में फ़ीस बृद्धि हो गयी और लोगों ने खासकर मध्यमवर्ग ने इस फी हाइक के खिलाफ न तो कोई आक्रोश जाहिर किया है और न ही आगे उनका कोई मंसा है। क्या भारत माता की जय और बन्दे मातरम् की बहस इतनी बड़ी हो गयी आपके बच्चों का भविष्य ही अंधे कुँए में जाते देख भी आप चुप हैं।आखिर 8 लाख (सिर्फ ट्यूशन फी) कहाँ से लाएंगे और उसके बाद हॉस्टल चार्ज और अलग के खर्चे कहाँ से जुटाएंगे? आखिर iit में पढ़ने वाले छात्र कौन होंगे? क्या अब रिक्शा चलाने वाला,पान बेचने वाला का बेटा या फिर किसी गाँव के गरीब किसान का बेटा क्या iit के सपने देख पायेगा? सवाल इतना नहीं के 1 लाख रूपये वार्षिक सालाना कमाने वाले गरीब लोगों और अनुसूचित जाति या जनजाति और दिव्यांग् के फी माफ़ हैं ही इस बात में कितना दम है इसके दूसरे पहलु की ओर नज़र डालते हैं की अब iit के फॉर्म वही छात्र भर पाएंगे जो बोर्ड में 75%या उससे अधिक नंबर लाएगा। अब पूरा देश जनता है की इतना मार्क्स कमसे कम स्टेट बोर्ड से तो उठा पाना टेढ़ी खीर है तो लोग अपने बच्चों का एडमिशन किसी सीबीएसई स्कूल में करवायेंगे जिसकी सालाना फी 40 हजार या उससे भी ज्यादा है। अब फिर से पूछता हूँ की क्या वो गरीब किसान या फिर उस रिक्शा वाले की इतनी हैसियत है की वो अपने बच्चों का एडमिशन किसी सीबीएसई स्कूल में करवा पाएं? और कितने छात्र क्वालीफाई होंगे जो अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर दिव्यांग् कोटे से बिलॉंग करेंगे? मतलब न तो उस गरीब का बच्चा पढ़ेगा और न ही वो iit एग्जाम क्वालीफाई करेगा। अब आते हैं मध्यमवर्ग (उदासीन वर्ग) के पास जो की सालाना 5 लाख से कम कमाते हैं उन्हें टोटल फी की दो तिहाई हिस्सा देना पड़ेगा मतलब लगभग 6.8लाख देना पड़ेगा और साथमें हॉस्टल फी और भी जरुरी खर्च कुल मिलकर आप अनुमान लगा ही सकते हैं। मतलब अब उन्हें भी अपना पॉकेट देखना पड़ेगा और अपनी हैसियत भी। क्या वो बैंक लोन भी ले सकते हैं? क्योंकि 4 लाख से ऊपर पर सेक्यूरिटी की मांग भी कई बैंको द्वारा किया जाता है। अब बात करते हैं की अगर बच्चे iit नहीं तो क्या कर सकते हैं? मतलब कर्रियर आप्शन तो और भी हैं मसलन आप किसी अच्छे जनरल यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले सकते हैं जैसे JNU? HCU? IITS? FTII? मतलब वो सारे कॉलेज बच जाते हैं जहां के बच्चे तथाकथित देशद्रोही करार दिए जा चुके हैं और आगे भी सिलसिला जारी है।
तो क्या हमने अपने आने वाली पीढ़ी के हाथ से शिक्षा का अधिकार छीनने की कोशिस करनी शूरू कर दी है? क्या हम अब बच्चों को ये बोल पाएंगे की बच्चे "पढ़ो ! क़ाबिल बनो पैसे तुम्हारे एजुकेशन के आड़े नहीं आएगी"।क्या कोई गरीब आदमी इतना दूर देख पायेगा की उसका बच्चा अपने काबिलियत के दम पर iit में पढ़ेगा न की पैसे के दम पर?
आख़िर सरकारी संस्थान किसके लिए होती है।।।
जब ये संस्थान अंतिम आदमी की उम्मीद ही मार डालेगी तो इसके होने या न होने का फायदा ही क्या है??

रविवार, 24 नवंबर 2013

हमारी उच्च शिक्षा

GATE 2013 ,में 12,00,728 स्टूडेंट रजिस्टर्ड हुए और 9,84,855छात्र लगभग 82.02% appear हुए और qualify मात्र 1,36,699(13.88%) छात्र ये दिखाती है की इस देश में इंजिनियर बनना कितना मुश्किल है या फिर ये खाही कुछ और इशारा कर रही है,हकीकत का , इस देश की उच्च शिक्षा के हाल का, हम कहाँ है ये दिखाती है
इन सब के बीच एक नही अनगिनत सवाल उभर कर सामने आते है की
१.       क्या हमारे देश के इन उच्च संस्थानों में क्या सचमुच पढाई नही होती है ?
२.       क्या हमारे देश में उच्च शिक्षा हाशिल करने वाले छात्र पढाई करने की जरूरत नही समझते?
३.       इन संस्थानों में पढ़ने वाले फैकल्टी पढाई देने के वजाए मोटी रक़म छाप रही है?
४.       क्या हमारे देश की सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने की बस झूठी वायदे करती है?


ऐसे बहुत सारे सवाल हैं जिसके जवाब बड़े सीधे या तो बड़े ही उलझे हो सकते है ,
मैं एक बात महसूस कर रहा हूँ की आप +1,+2  स्कूल को देखें वहां के सन्नाटे को देखें आज हर छात्र स्कूल में नही किसी न किसी कोचिंग में पढना चाहता है ताकि अपना फ्यूचर संवार सके मगर स्कूलिंग की और स्कूल के टीचर की अहमियत ख़त्म कर I ऐसा इसलिए क्यूंकि आज हर सारे अच्छे संस्थानों में एडमिशन के लिए कॉम्पीटिशन देना होता है जिसे शायद स्कूल के भरोसे निकाल पाना तो टेढ़ी खीर है और यही हाल आज के सरकारी से लेकर प्राइवेट उच्च शिक्षा के केन्दों पर भी लागू होती है इन इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में भी बस यूनिवर्सिटी पास होने की तकनीक सिखाई जाती है या फिर वो भी नहीं, तो ऐसे में स्टूडेंट अब कॉलेज के भरोसे कम कोचिंग के भरोसे ज्यादा रह रही है क्यूंकि आज लगभग सारे vacancy post में गेट स्कोर खोजा जाता है ,M.TECH करने के लिए भी गेट स्कोर की जरूरत है और ऐसे में ये गेट स्कोर आयेगा कहाँ से तो इसका जवाब सीधा सीधा बड़े बड़े कोचिंग से ही मिल सकता है इन बड़े बड़े कॉम्पीटिशन ने स्कूल और कॉलेज के अहमियत पर ही बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया हैI
अब बात उन सारे 68.04% छात्रों की जो गेट क्वालीफाई नही कर पाए उनका क्या ...
या तो वो फिर से GATE 2014 देंगे या फिर कहीं किसी जगह १०,००० -२५००० में किसी प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे होंगे जो एक इंजिनियर की सैलरी तो कम से कम नही है
एक समय था जब GATE  वगैरह एग्जाम नही हुआ करता था तब भी इंजीनियरिंग कॉलेज हुआ करते थे मगर ये खाई बहुत कम की हुआ करती थी आज एक बड़ी जमात अपने हाथ में B.TECH की डिग्री ले कर घरों में बैठी है या तो जिन्दगी गुजारने के लिए कोई छोटा मोटा जॉब कर रही है
यहाँ एक बात गौर करने लायक है की हमारी सरकार जिस तरह से उच्च शिक्षा को नज़रंदाज़ कर रही है उसका परिणाम बड़ा भयानक हो सकता है इन सब चीजों में स्टूडेंट्स का कम मगर इस सिस्टम का ज्यादा कसूर है, वो इस ओर ध्यान देना ही नही चाहती बस मजबूरियां गिनाया करती है की हमारे पास फैकल्टी नही है हमारे पास संसाधन नही है I मई पूछता हूँ की ये फैकल्टी और संसाधन क्या हम कॉलेज को मुहैया कराएँगे या उन्हें ही इसका इंतजाम करना पड़ेगा, जब इन इंस्टिट्यूट में ही ढंग की पढाई नही होगी तो स्टूडेंट पढेंगे कैसे और ये स्टूडेंट कोई आम तो है नही ये भी कभी न कभी दिन रात मेहनत करके कॉम्पीटिशन क्वालीफाई करके वहां तक पहुंची है तो फिर उन्हें ऐसा क्या हो जाता है जो वो हीरो से जीरो की कगार तक पहुँच जाते हैI
मैं एक बात तो महसूस करता हूँ की ऐसा कोई स्टूडेंट नही होगा जिसे ढंग से पढाया जाये और वो पढ़े नही,
मगर यहाँ तो ढंग के टीचर तो बहूत दूर की बात है टीचर ही नही होते हैं तो वो पढेंगे क्या ....

मैं बस इस बात से इत्तेफाक रखता हूँ की उच्च शिक्षा कोई पेड़ में लगा हुआ फल नही है जिसे हर कोइ तोड़ ले उसे अपने हक़दार को अवश्य मिलना चाहिएI आखिर इसी काम के लिए ये उच्च संस्थान एक मोटी रकम वसूल करती है मगर ऐसा क्यूँ है की उन्हें तकनिकी शिक्षा देने में तकलीफ होती है ......और कैन न कहीं शिक्षा के गिरते स्तर के लिए ये कॉम्पीटिशन भी जिम्मेदार है जो स्टूडेंट को कॉलेज कैंपस में कम मगर कोचिंग काम्प्लेक्स में ज्यादा देखना चाहती है
.....धन्यवाद्



रविवार, 8 सितंबर 2013

         राजनीति के बीच पिसता शिक्षा तंत्र
हमारे देश की आज़ादी के मात्र ६६ साल हुए हैं और इन ६६ सालों में हमारा देश कई सारे  मोर्चों पर काफी आगे आ चूका हैI हमने SPACE में तरक्की की हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया में काफी उछाल आया है हम आज दुनिया के कुछ ताकतवर देशों की श्रेणी में गिने जाते हैं हमारे रूस की तरह कुछ अच्छे दोस्त हैं तो पाकिस्तान से हमारे संबंध बिगड़ते ही जा रहे हैं मगर मैं उपलब्धियों की चर्चा नही करना चाह रहा हूँ मैं यहाँ उन बातों पर चर्चा करना चाहता हूँ जो इन उपलब्धि को हाशिल करते-करते हमने अपने आप को बेच दिया I
     कभी हमारे देश के महान क्रान्तिकारियों और अनगिनत शहीदों ने अपनी कुर्बानियों के दम पर और बापू, जवाहर लाल नेहरु और न जाने कितने ही लोगों के अथक परिश्रम और विश्वाश से इस देश से फिरंगियों को खदेड़ दिया और हमारे देश में लोकतंत्र लाया गया और दुनिया का पहला REPUBLIC COUNTRY होने का गौरव प्राप्त किया मगर उस समय ये कहाँ पता था की यही लोकतंत्र हमारे गले की फांस बन जाएगी जिसे नहीं छोड़ा जा सकता है और न ही इसके साथ आगे बाधा जा सकता है
     लोकतंत्र की परिभाषा तो हमने बचपन में ही पढ़ ली थी
“लोकतंत्र जनता की जनता द्वारा और जनता के लिए शाशन है –लिंकन “
    मगर आज के लोकतंत्र की परिभाषा शायद बदल गयी है यहाँ जनता पापने आप को पंगु समझने लगी है जिसके पास तो सरकार बनाने का हक तो है मगर सरकार से नाखुस होने पर उसे ELIMINATE करने का अधिकार नही है जनता के सामने भरोशे का उम्मीदवार नही है और अगर है भी तो उस बेचारे के पास अथाह धन नही है जिसे चुनाव में खर्च किया जाये और सरकार में सामिल हो सके
    इन् सबके बीच आज दागी उम्मीदवारों की भरमार हो गयी है जो सिर्फ सत्ता हाशिल करने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकते हैं और अथाह कला धन का उपयोग कर सरकार में सामिल हो जाती है क्यूंकि वो जानते हैं की एक बार अगर मंत्री बन गए तो पुरे खानदान का सात पुस्त का फ्यूचर तो ब्राइट हो ही जायेगा और इन् सबके बिच मारा जाता है बेचारा “आम आदमी”  और उसके पास कोई OPTION नही है वो करे तो करे भी क्या गावों में एक कहावत बहुत मशहूर है की “हाथ को दिया तो हाथ ही खा गया और मुंह को तो मुंह ने ही खा लिया विश्वाश किसपर किया जाये”
       आज हमारे देश में भ्रस्त्ताचार,महंगाई, रूपये का अवमूल्यन,लोगों के चरित्र का पतन, चरम पर है लोग बस समझने लगे हैं की पैसा किसी तरह से आना चाहिए पैसा गलत या सही नही सिर्फ पैसा होता है जब देश की सरकार COAL SCAM, 2G, RASTRAMANDAL खेल ,चारा घोटाला ,AADARASH SOCITY SCAM, और न जाने कितने ही घोटाला करके साफ बच जाते है तो १०० -२०० को कौन देखता है और यहीं से शुरू  होता है छोटे छोटे कामो के लिए घूस की कवायद I
    कहा गया है जैस देश के सरकार में वकील और अनपढ़ लोगों की भरमार हो उस देश को गर्त में जाने से कोई नही बचा सकताI ये मूर्खों की सरकार क्या समझेगी EDUCATION की कीमत और शायद  यही वजह है की हमारे देश का एक भी यूनिवर्सिटी TOP 100 में नही है, मगर TOP 500 में एक यूनिवर्सिटी ज़रूर है, IISC,BANGLORE खैर इन् सबके बिच हमारे देश में RESEARCH तो शायद नाम मात्र की होती है और न ही इस और सरकार के द्वारा ध्यान ही दिया जाता है और यही कारण है की हमारे देश में अब साइंटिस्ट जन्म नही लेते, और अगर जन्म लेते भी हैं तो हमारी इस शाशन व्यवस्था के और घटिया एजुकेशन सिस्टम के तलवों तले कुचल जाती है इसका प्रमाण  है की अब हमारे देश में नोबल प्राइज के लिए किसी भी साइंटिस्ट को नही चुना जाता Iआज हमारे देश में यूथ को IIT में एडमिशन लेने की होड़ है मगर ये होड़ इसलिए नही है की ये यूथ एक बेहतर एजुकेशन पाना चाहते हैं बस इसलिए IIT का चयन करते हैं की अच्छा  PACKADGE मिल जाये और अपनी जिन्दगी आराम से गुज़र जाये और जो स्टूडेंट शायद HIGHER एजुकेशन पाने के लिए इन IIT का चयन करते हैं, उनके साथ तो बस मजाक ही हो जाता है और जब IIT की ये हालIत है, तो देश के NIT कि हालत तो सोचनीय ही होगी और STATE ENGINEERING COLLEGE की बात भी करना बेईमानी होगीI
       बात अगर बिहार की करें तो यहाँ 7 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है जिसमे 2 की ही हालत कुछ अच्छी  कही जा सकती है बाकि की तो हाई स्कूल से भी COMPARE किया जाये तो हाई स्कूल की बेइज्जती हो जाएगी यहाँ पढाई नही मजबूरी गिनाई जाती है,यहाँ का कॉलेज से ले कर फैकल्टी तक भाड़े पर है , परमानेंट फैकल्टी तो है ही नही बाकि बात तो स्वप्नलोक की ख्वाहिश होगी ,यहाँ की  TECHNICAL UNIVERSITY “ARYABHATTA TECHNICAL UNIVERSITY” ही जब भाड़े पर चलती है ,जिसकी अपनी वेबसाइट डेढ़ साल से बंद है यहाँ का रिजल्ट और अन्य न्यूज़ FACEBOOK से पता चलता है तो बाकि बातें जैसे प्लेसमेंट आदि की करना ही बेगानी है, और मैं पूछता हूँ की कंपनी बिहार आये ही तो क्यूँ यहाँ के स्टूडेंट की मजबूरी देखने या फिर भाड़े पर चल रही COLLEGE और UNIVERSITY को देखने और हमारे मुख्यमंत्री MR NITISH KUMAR बस भांजते रहते हैं की हम हायर एजुकेशन के प्रति गंभीर हैंI बस नया इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने से नही होगा उसका MAINTAINANCE करने से होगा वहां सही तरीके से पढाई हो रही है या नही इसकी जिम्मेवारी भी लेनी पड़ेगी I मगर यहाँ के स्टूडेंट को BASIC NEED तक नही मिल पता है तो और सारी बिन्दुओं पर बात करना ही गलत होगा Iबस यहाँ टेक्निकल एजुकेशन राजनीति के हत्थे चढ़ चूका हैI इन् सब के बिच बिहार में ENGINEERING करने वाले स्टूडेंट की संख्या काफी ज्यादा है, जो बस इसी आस में है की सब ठीक हो जायेगाI
     ये सारी बातें तो TECHNICAL EDUCATION की बदहाली की थी मगर इस देश में बहुत सारे नही अनगिनत बिंदु ऐसे खड़े हो गए है जो सरकार की गलत गवर्नेंस की उपज है यहां कई साडी योजनायें तो बनायीं जाती है मगर वो सब शायद सरकारी महकमों के बाबुओं के लिए या तो नेताओं के लिए होता है ,उसकी जमीनी हकीकत शुन्य ही होता है या कभी कभी न के बराबर ही जरुरत मंदों तक पहुच पता हैI
      हमारा भारत शुरू से ही ऋषि मुनियों की भूमि रही है जो धन दौलत ऐशोआराम से दूर रहा करते थे, जिनके चरित्र उच्य कोटि की होती थी जिसपर ऊँगली उठाना भगवान् पर ऊँगली उठाने के बराबर होती थी, और एक आज के बाबा है जो धन दौलत को ही भगवान् मानते हैं जिसपर RAPE के आरोप लगते हैं गुंडागर्दी के आरोप लगते हैं और उसके ऊपर कार्यवाही तक करने में ढिलाई बरती जाती हैI लोग चरित्रहीन हो रहे हैं आज कल रोज किसी न किसी की आबरू लूटी जाती है और उसे सजा देने में भी कोताही बरती जाती है एक कड़े कानून की दरकार है जहाँ वहां बस खानापूर्ति की जाती है, अस्वाशन दिया जाता है मगर उसे किसी मॉनसून सत्र में लागू करने की बात कही जाती है मगर न जाने वो सत्र कब आयेगाI
       सरकारी वायदों की बात किया जाये तो सुनने में तो बड़े ही कर्ण प्रिय लगते है मगर इसकी जमीनी हकीकत जब देखा जाता है तो सुन्या ही होता है I इन सरकारी वायदों के बिच आज हमारे देश का आम आदमी से लेकर युवा तक त्रस्त हैI यहाँ बस एक आस में लोग जिए जा रहे है की कोई तो सुबह होगी जब हम भी दिल से गर्व कर सकेंगे की हम भारत वासी हैं और हमारे देश को चलने वाले लोग मौकापरस्त नही सचमुच में अपने भारत माँ की क़द्र करते हैं मगर वो सुबह शायद पता नही कब आयेगी I
 मैं लोकतंत्र का बुरे करने नही बैठा था मगर इतिहास गवाह है की सिस्टम चाहे राजतन्त्र हो समाजवाद हो या कोई और जब अच्छे लोग सत्ता में आते हैं तो कोई भी तंत्र अच्छा है और वहीँ अगर गलत लोगों के हाथ में सत्ता आई है तो उस SYSTEM की बहुत ज्यादा भद्द हुई है जैसे अकबर ने भी राजतन्त्र का बखूबी मान रखा वहीँ औरंगजेब ने राजतन्त्र के मुह पर कालिख पोट दी लेनिन ने समाजवाद के दम पर रूस को अपना एक अलग पहचान दिया और रूस को आर्थिक मंदी के दौर से बचा कर दुनिया के शक्तिशाली देश के बिच लाकर खड़ा कर दिया ,और लेनिन के मरने के बाद रूस की दुर्गति से हम सभी वाकिफ हैं I जवाहरलाल नेहरु जी ने अपने देश के प्रथम प्रधान मंत्री के पद की गरिमा को बरकरार रख कर इस देश को आत्मनिर्भर बनाया वहीँ आज के नेता हमारे देश को बेचने पर तुल गए हैं Iहमारे देश को लाल बहादुर शास्त्री के जैसे लीडर की ज़रूरत है ,जो EDUCATION के मूल्यों को समझे न की वैसे लीडर की जो महलों में रह कर खानदानी परम्परा में राजशाही करेI आज जितने भी सारे विकशित देश हैं वो अपने देश के बजट का एक बड़ा हिस्सा EDUCATION को बढ़ावा देने में खर्च करते है क्यूंकि वो जानते हैं की जिस देश की जनता पढ़ी लिखी होगी उस देश को तरक्की करने से कोई नही रोक सकता ,मगर हमारे यहाँ तो एजुकेशन का की बात ही कोई नही करता क्यूंकि हमने ही दुनिया को “शुन्य” दिया हैI हम अपने पूर्वजों की कमाई खा रहे है मगर न जाने कब तकI आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था इस कगार पर आ चुकी है की हमें सोना गिरवी रखना पड़ सकता है मगर हमारे देश की सरकार को शर्म तक नही आ रही है I
       खैर हम जब छोटे थे तो देश की एक अलग पहचान अपने नज़र में लिए जी रहा था मगर अब शायद वो सब अब धुंद में डूब रहा है , मगर आस अब भी बाकी है की कभी तो हमारे देश के लीडर देश को खोखला करना बंद करेंगे देश को बेचना बंद करेंगे और EDUCATION की कीमत समझेंगे

जीने की चाह अब भी बाकि है क्यूंकि कहा जाता है की अँधेरे के बाद ही उजाला होता हैI