आखिर iit किसके बस में?
आखिरकर iit में फ़ीस बृद्धि हो गयी और लोगों ने खासकर मध्यमवर्ग ने इस फी हाइक के खिलाफ न तो कोई आक्रोश जाहिर किया है और न ही आगे उनका कोई मंसा है। क्या भारत माता की जय और बन्दे मातरम् की बहस इतनी बड़ी हो गयी आपके बच्चों का भविष्य ही अंधे कुँए में जाते देख भी आप चुप हैं।आखिर 8 लाख (सिर्फ ट्यूशन फी) कहाँ से लाएंगे और उसके बाद हॉस्टल चार्ज और अलग के खर्चे कहाँ से जुटाएंगे? आखिर iit में पढ़ने वाले छात्र कौन होंगे? क्या अब रिक्शा चलाने वाला,पान बेचने वाला का बेटा या फिर किसी गाँव के गरीब किसान का बेटा क्या iit के सपने देख पायेगा? सवाल इतना नहीं के 1 लाख रूपये वार्षिक सालाना कमाने वाले गरीब लोगों और अनुसूचित जाति या जनजाति और दिव्यांग् के फी माफ़ हैं ही इस बात में कितना दम है इसके दूसरे पहलु की ओर नज़र डालते हैं की अब iit के फॉर्म वही छात्र भर पाएंगे जो बोर्ड में 75%या उससे अधिक नंबर लाएगा। अब पूरा देश जनता है की इतना मार्क्स कमसे कम स्टेट बोर्ड से तो उठा पाना टेढ़ी खीर है तो लोग अपने बच्चों का एडमिशन किसी सीबीएसई स्कूल में करवायेंगे जिसकी सालाना फी 40 हजार या उससे भी ज्यादा है। अब फिर से पूछता हूँ की क्या वो गरीब किसान या फिर उस रिक्शा वाले की इतनी हैसियत है की वो अपने बच्चों का एडमिशन किसी सीबीएसई स्कूल में करवा पाएं? और कितने छात्र क्वालीफाई होंगे जो अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर दिव्यांग् कोटे से बिलॉंग करेंगे? मतलब न तो उस गरीब का बच्चा पढ़ेगा और न ही वो iit एग्जाम क्वालीफाई करेगा। अब आते हैं मध्यमवर्ग (उदासीन वर्ग) के पास जो की सालाना 5 लाख से कम कमाते हैं उन्हें टोटल फी की दो तिहाई हिस्सा देना पड़ेगा मतलब लगभग 6.8लाख देना पड़ेगा और साथमें हॉस्टल फी और भी जरुरी खर्च कुल मिलकर आप अनुमान लगा ही सकते हैं। मतलब अब उन्हें भी अपना पॉकेट देखना पड़ेगा और अपनी हैसियत भी। क्या वो बैंक लोन भी ले सकते हैं? क्योंकि 4 लाख से ऊपर पर सेक्यूरिटी की मांग भी कई बैंको द्वारा किया जाता है। अब बात करते हैं की अगर बच्चे iit नहीं तो क्या कर सकते हैं? मतलब कर्रियर आप्शन तो और भी हैं मसलन आप किसी अच्छे जनरल यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले सकते हैं जैसे JNU? HCU? IITS? FTII? मतलब वो सारे कॉलेज बच जाते हैं जहां के बच्चे तथाकथित देशद्रोही करार दिए जा चुके हैं और आगे भी सिलसिला जारी है।
तो क्या हमने अपने आने वाली पीढ़ी के हाथ से शिक्षा का अधिकार छीनने की कोशिस करनी शूरू कर दी है? क्या हम अब बच्चों को ये बोल पाएंगे की बच्चे "पढ़ो ! क़ाबिल बनो पैसे तुम्हारे एजुकेशन के आड़े नहीं आएगी"।क्या कोई गरीब आदमी इतना दूर देख पायेगा की उसका बच्चा अपने काबिलियत के दम पर iit में पढ़ेगा न की पैसे के दम पर?
आख़िर सरकारी संस्थान किसके लिए होती है।।।
जब ये संस्थान अंतिम आदमी की उम्मीद ही मार डालेगी तो इसके होने या न होने का फायदा ही क्या है??
आखिरकर iit में फ़ीस बृद्धि हो गयी और लोगों ने खासकर मध्यमवर्ग ने इस फी हाइक के खिलाफ न तो कोई आक्रोश जाहिर किया है और न ही आगे उनका कोई मंसा है। क्या भारत माता की जय और बन्दे मातरम् की बहस इतनी बड़ी हो गयी आपके बच्चों का भविष्य ही अंधे कुँए में जाते देख भी आप चुप हैं।आखिर 8 लाख (सिर्फ ट्यूशन फी) कहाँ से लाएंगे और उसके बाद हॉस्टल चार्ज और अलग के खर्चे कहाँ से जुटाएंगे? आखिर iit में पढ़ने वाले छात्र कौन होंगे? क्या अब रिक्शा चलाने वाला,पान बेचने वाला का बेटा या फिर किसी गाँव के गरीब किसान का बेटा क्या iit के सपने देख पायेगा? सवाल इतना नहीं के 1 लाख रूपये वार्षिक सालाना कमाने वाले गरीब लोगों और अनुसूचित जाति या जनजाति और दिव्यांग् के फी माफ़ हैं ही इस बात में कितना दम है इसके दूसरे पहलु की ओर नज़र डालते हैं की अब iit के फॉर्म वही छात्र भर पाएंगे जो बोर्ड में 75%या उससे अधिक नंबर लाएगा। अब पूरा देश जनता है की इतना मार्क्स कमसे कम स्टेट बोर्ड से तो उठा पाना टेढ़ी खीर है तो लोग अपने बच्चों का एडमिशन किसी सीबीएसई स्कूल में करवायेंगे जिसकी सालाना फी 40 हजार या उससे भी ज्यादा है। अब फिर से पूछता हूँ की क्या वो गरीब किसान या फिर उस रिक्शा वाले की इतनी हैसियत है की वो अपने बच्चों का एडमिशन किसी सीबीएसई स्कूल में करवा पाएं? और कितने छात्र क्वालीफाई होंगे जो अनुसूचित जाति या जनजाति या फिर दिव्यांग् कोटे से बिलॉंग करेंगे? मतलब न तो उस गरीब का बच्चा पढ़ेगा और न ही वो iit एग्जाम क्वालीफाई करेगा। अब आते हैं मध्यमवर्ग (उदासीन वर्ग) के पास जो की सालाना 5 लाख से कम कमाते हैं उन्हें टोटल फी की दो तिहाई हिस्सा देना पड़ेगा मतलब लगभग 6.8लाख देना पड़ेगा और साथमें हॉस्टल फी और भी जरुरी खर्च कुल मिलकर आप अनुमान लगा ही सकते हैं। मतलब अब उन्हें भी अपना पॉकेट देखना पड़ेगा और अपनी हैसियत भी। क्या वो बैंक लोन भी ले सकते हैं? क्योंकि 4 लाख से ऊपर पर सेक्यूरिटी की मांग भी कई बैंको द्वारा किया जाता है। अब बात करते हैं की अगर बच्चे iit नहीं तो क्या कर सकते हैं? मतलब कर्रियर आप्शन तो और भी हैं मसलन आप किसी अच्छे जनरल यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले सकते हैं जैसे JNU? HCU? IITS? FTII? मतलब वो सारे कॉलेज बच जाते हैं जहां के बच्चे तथाकथित देशद्रोही करार दिए जा चुके हैं और आगे भी सिलसिला जारी है।
तो क्या हमने अपने आने वाली पीढ़ी के हाथ से शिक्षा का अधिकार छीनने की कोशिस करनी शूरू कर दी है? क्या हम अब बच्चों को ये बोल पाएंगे की बच्चे "पढ़ो ! क़ाबिल बनो पैसे तुम्हारे एजुकेशन के आड़े नहीं आएगी"।क्या कोई गरीब आदमी इतना दूर देख पायेगा की उसका बच्चा अपने काबिलियत के दम पर iit में पढ़ेगा न की पैसे के दम पर?
आख़िर सरकारी संस्थान किसके लिए होती है।।।
जब ये संस्थान अंतिम आदमी की उम्मीद ही मार डालेगी तो इसके होने या न होने का फायदा ही क्या है??